13 Apr 2011

HIND KI AAVAZ

                                                                       ॐ

ॐ ॐ ॐ परम कृपालु परमात्मा की आज्ञा से यह लिख रहा हु जो की अत्यंत दयालु एव कृपावान हे. ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ   नमो श्री सद्गुरु पात्र ब्रह्मा इन्द्र इमामशाह आध विष्णु निरंजन कल्कि आत्माय नमो नाम: ॐ ॐ

हिंद की आवाज़


हिंद की आवाज़ नाम का यह ब्लॉग लिखने केलिए मैं काफी दिनों से सोच रहा था, हिंद की आवाज़ असल में सलीम खान के ब्लॉग स्वच्छ सन्देश के प्रतिकार में लिख रहा हु. सलीम जी के ब्लॉग में मुझे साम्प्रदायिकता की बू आती हे. सलीम खान अच्छे लेखक हे. लेकिन हर लेख को वह अपनी संकुचित मानसिकता से सोच कर लिखते हे.


कही कही ये महासय हिन्दू देवी देवता की तुलना इस्लाम से करते हे और कही कही बहन फिरदोश को  सलाह देते हे की   "बुरा मत मानियेगा बहन फ़िरदौस आगे आप गच्चा ख़ा गई और जोश में होश खो बैठी; आपने कहा कि क्या फर्क पड़ता है कि आप मंदिर में किसी मूर्ति के सामने जा कर पूजा करें, उसकी इबादत करें, उस मूर्ति को कि ईश्वर समझें.... !!!??? बहन फ़िरदौस तब आप बेशक खुद को, आपने क़ल्ब को खुश रख लीजिये लेकिन इस बिनाह पर आप इंसान तो हैं, लेकिन मुसलमान नहीं...    इस प्रकार आपकी मानसिकता प्रगट होती हे. आप के ब्लॉग से पता चलता हे की आप एक भी ऐसा मोका अपने हाथ से जाने नहीं देते जिसके बहाने आप हिन्दू धर्म की निंदा कर सके.

वास्तव में आप अपनी लकीर बड़ी दिखाने के लिए दुसरो की लकीर छोटी करने का प्रयाश करते हे.  आप किशी हिन्दू के द्वारा हिन्दू धर्म की किशी शास्त्र अथवा ग्रन्थ पर की गयी टिका, निंदा को पढ़ कर सनातन धर्म एव सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लाखो लोगो की भावना को ठेश पोहचाने के लिए ब्लॉग को माध्यम बनाकर आप लिखते हे .

मैं आपसे कुछ सवाल पूछना चाहता हु. जिश प्रकार सनातन धर्म के कुछ नास्तिक लोग अपने धर्म अपने ग्रंथो एव धर्म के देवी देवता के विषय ने मनगठित निंदा करते हे. वैसे ही इस्लाम धर्म के बारे में कुछ नास्तिक अथवा दुसरे धर्म के लोगो द्वारा निंदा की गइ होगी बांग्ला देश की तसलीमा इसका सबसे अच्छा उदाहरण हे यह बात आपसे छुपी नहीं होगी

आपनी नजर में सिर्फ मुस्लमान ही खुदा के बन्दे हे. मतलब की बहुत से संत साईबाबा, विठोबा, गुजरात के जलाराम बापा जिनके बारे में कहावत हे की जहाँ जला वही अलाह साईं बाबा कहते हे की अलाह मालिक सबका मालिक एक , स्वयं साईबाबा शिवजी एव गणेश के मंदिर में जाते थे.

क्या आप वास्तव में मुसलमानों के लिए वर्जित कार्यो को नहीं करते आपको जहाँ तक मुझे पता हे इस्लाम में फिल्मे देखना मना हे पर स्त्री को देखना मना हे क्या आप यह सब कर पाते हे.

अगर आपको लगता हे की आप सचे मुस्लमान हे तो आप खुद अपने धर्म का पालन करना छोड़ कर दुसरो को क्यों धर्म सिखाते हे.
सवाल तो बहुत से हे पर आप खुद अपने मन से मनन कीजिये मुझे पता हे मैं अपना धर्म पूर्ण निष्ठा से नहीं पालन नहीं पाता हु मुजमे हजारो ऐब हे. पर मैं इस्लाम की बुराइ नहीं करता हु.

जिस प्रकार आपको अपने संप्रदाय से आस्था हे. उसी प्रकार मुजे भी अपने सनातन संप्रदाय में पूर्ण आस्था हे. इसका अर्थ यह नहीं हे की मैं इस्लाम  या मो. पैगम्बर साहेबजी की निंदा करू मेरे धर्म में सभी धर्मो का आदर करना सिखाया जाता हे.

हिन्दू सब्द सनातन संप्रदाय में आस्था रखने वाले लोगो को संबोधन करने में प्रयोग किया जाता हे. जिस प्रकार हिन्दू धर्म संप्रदाय में अनेक मत एव पंथ हे उसी प्रकार इस्लाम में भी अनेक मत एव पंथ हे सनातन संप्रदाय में अलग अलग पंथ, मत, देवी देवता, जप, तप, कर्म कांड हे सबकी अपनी मान्यता हे. उसी प्रकार इस्लाम में भी अलग अलग मत हे. सिया, एव सुनी के बारे में सब जानते हे.

इसलिए सलीम खानजी मेरी आपसे गुजारिश हे की आप अपने ब्लॉग में किशी के सम्प्रदाय, मत, कर्म कांड , पूजा विधि अथवा मान्यताओ के बारे में न लिखे तो ही अच्छा हे. क्युकी जो मेरे लिए पूजनीय हे वो आपके लिए पूजनीय न हो और जो आपके लिए पूजनीय हे वो सायद मेरे लिए पूजनीय न हो. तो आप कृपा करने अपने ब्लॉग में मेरे संप्रदाय मेरी आस्था के विषय में ऐसा बिलकुल न लिखे जिससे मेरी भावनाओ को ठेष लगे.

आपके कुछ ब्लॉग पोस्ट जो की आपने अपनी एक तरफी विचारो से लिखी हे उसके बारे में मैं आपका ध्यान आकर्षित करूँगा और आपसे दरखास्त करूँगा की आप अपने मन को और विचारो को अपने ब्लॉग के नाम के अनुरूप बनायेगे.    


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