ॐ ॐ ॐ परम कृपालु परमात्मा की आज्ञा से यह लिख रहा हु जो की अत्यंत दयालु एव कृपावान हे. ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ नमो श्री सद्गुरु पात्र ब्रह्मा इन्द्र इमामशाह आध विष्णु निरंजन कल्कि आत्माय नमो नम: ॐ ॐ
सर्व देवमयी गौमाता यस पोस्ट में सलीम खान की २६ अक्तूबर २००९ की पोस्ट जिसका शीषर्क था गौमाता के आदर व् सम्मान का क्या यह मतलब है! के प्रतिक में लिख रहा हूँ. सलीम खानजी में आपकी संकाओ का समाधान भी देता हु जिसके लिए मै आपसे कुछ प्रश्न पूछूँगा जिसका जवाब दे.!!!! निचे ब्लू कलर के सब्द सलीम खान के हे
आपने अपनी पोस्ट मै कहाँ है की "मुहम्मद सल्ल. की हदीस के यह शब्द, कि पेशाब की छीटों से बचो!!!" आप यह वाक्य लिख कर अपनी मानसिकता से गो माता की और हिन्दू धर्म नि निंदा करते है अब मै आपको मो. सल्ल के जीवन की कुछ गटना के बारे में बताता हु. आप सायद जानते होंगे !!! कृपया निचे पढ़े.
1 -मुहम्मद सल्ल पैगम्बर साहेब ने मुसलमानों को ऊंट की पेशाब पिलायी
"अनस ने कहा की "उक्ल और उरैना "के लोगों की शिकायत है कि,उन लोगों को मक्का का मौसम माफिक नहीं अ रहा है ,और वे बीमार हो रहे है .रसूलल्लाह ने आदेश दिया कि उनको ऊँटों के ल्हुन्द के पास ले चलो .फिर रसूल ने उन लोगों से कहा तुम ऊंट की पेशाब पीया करो .यह एक कारगर और आजमाई हुई दवा है ,लोगों ने ऐसा ही किया .कुछ समय में वे स्वस्थ हो गए "
बुखारी -(वुजू )जिल्द 1 किताब 4 हदीस 234
बुखारी -जिल्द 8 किताब 82 हदीस 794
2 -नए मुसलमान ऊंट की पेशाब पीते थे
"फिर इसके बाद जो भी व्यक्ति मुसलमान बनने के लिए रसूल के पास आता था वे उसे ऊंट की पेशाब जरूर पिलाते थे .रसूल फरमाते थे कि ऊंटों की पेशाब मुफीद होती है और कारगर दवा होने के कारन मैं भी इसका इस्तेमाल करता हूँ .
बुखारी -जिल्द 7 किताब 71 हदीस 590
अब में सलीम खान से पूछाना चाहता हु की आप ने अपनी पोस्ट में हिन्दू सनातन संप्रदाय के लोगो से प्रश्न किया हे जो इस प्रकार है
अगर मूत्र में ही लाभ तलाश करना है तो जननी माता जिस ने नौ महीने आप को अपनी कोख में रखकर पाला है इस बात की ज्यादा पात्र है कि उस के मूत्र के लाभ तलाश किये जायें।
मगर अफसोस कि इन अन्याइयों ने कभी अपनी जन्मदाई माता के मूत्र पर साइन्टीफिक शोद्ध की आवशयकता न समझी, दूसरी ओर उन्हे गाय के मूत्र का साइन्टीफिक लाभ तो दिखाई दिया परन्तु मैडिकल साइन्स का यह निश्कर्ष नज़र न आया कि मूत्र में किसी भी जानदार के बदन की तमाम गन्दगियाँ सम्मिलित होती हैं। हर उचित मस्तिष्क का व्यक्ति पेशाब करने के बाद अपने हाथों को धोना चाहता है और कभी किसी ने अपने पेशाब को टेस्ट न कराया कि शायद उसमे भी कुछ लाभकारी तत्व विराजमान हों।
अब सलीम खान आप बताये की इस प्रकार की वाहियात पोस्ट को आप स्वच्छ सन्देश कहते हो. और गाय की पूजा करने वालो को अन्याइयो कहा के जो ऊपर के वाक्य को पढ़ कर समज आता है.
वास्तविक स्वच्छ सन्देश नीछे है.
सर्व देवमयी गौमाता
गौ माता जिसकी हम उपेक्षा कर रहें है उसके गोबर और मूत्र मैसे सुंदर प्लायवूड बन सकती है. जिसकी दो फेक्टरिया आ रही है. गौमूत्र मैसे फीनाईल बन सकती है. गौमूत्र से ओईल पेन्ट कलर बन सकती है. और इन्टरनेशनल पेटेन्ट प्राप्त की गई गौमूत्रकी पंचगव्य दवा केन्सर दुर कर सकती है. गाय के गोबर मे न्यूक्लियर रेडीऐसन को रोकने की छमता होती है.